Saturday 19 July 2014

17-year-old girl of Turkish Rumesa Gelgi Seven Feet Long

     17-year-old girl of Turkish Rumesa Gelgi Seven Feet Long
Dubai.17-year-old girl of Turkish Rumesa Gelgi Seven Feet      Long, the longest girl's name is entered in the Guinness Book. 





Dubai. 17-year-old girl of Turkish Rumesa Gelgi seven feet long, the longest girl's name is entered in the Guinness Book.

Rumesa is a 11th grade student. A disease (Weaver Syndrome) in terms of age, because of his physical development has become too much. Rumesa could not move because of the length. The wheelchair has been created especially for him. Her shoes are designed especially in America. Turkey Rumesa Gelgi Safran Bolu city resident with his parents and siblings is large.

However Rumesa faces many dangers because of their length, but nonetheless it does Anjwoy.

Rumesa said people were already making fun of her, but she focused on the merits of having long. Rumesa says that he likes to see the different things placed on higher ground and easily extracts the.

Rumesa name published in the September 2015 edition of the Guinness Book will be entered into. At present, he is issued a certificate from the Guinness Book.

The Longest Female

                                 Praveen Siddiqui with his parents

     Praveen Siddiqui, from West Bengal, India, is estimated to be 7ft 8in.     Praveen Siddiqui, who is estimated to be 7ft 8in tall, travelled nearly 1,000 miles from her village in West Bengal for doctors in Delhi to save her life. Before the operation, the 28-year-old had a spine 'on the verge of breaking' and was losing her sight as a result of her continuous growth. 

Praveen Siddiqui in 2013 as the world's tallest woman was included in the Guinness Book of World Records. Because of its length in the Guinness Book of World Records included 25-year-old Praveen Siddika have more gum than the height of happiness. AIIMS resident of South Dinajpur of West Bengal proficient before new lease of life to 15 years in prison had to live in your home. Its growing length and head, hands, feet, nose etc. due to the growing size Sbina (name changed) was imprisoned for ten years in the house, because people used to call him weird names.
 

Thursday 10 July 2014

DAILY HEALTH TIPS

       DAILY HEALTH TIPS 

 
SEE THE GOOD HEALTH DRINK AND ITS 100% NATURAL DRINK
COCONUT WATER IS A VERY GOOD DRINK TO YOUR HEALTH

 
 
 
 







Wednesday 5 March 2014

COUNTRY WHERE LIVES THESE SEVEN HUMAN

भारत दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।  लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जी‍वित होगें।  रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।  हिंदू पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।  
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।  

2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।  

                                                      हनुमान जी
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।  
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।  
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।  
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं। 
 7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जी‍वित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
- See more at: http://naidunia.jagran.com/spiritual/kehte-hain-country-where-lives-these-seven-super-human-45046#sthash.C89Tnoji.dpuf
भारत दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जी‍वित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
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भारत दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जी‍वित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
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Tuesday 4 March 2014

10 Feet Python eats crocodile after five-hour battle at Australian lake.

10 Feet Python eats crocodile after five-hour battle at Australian lake.

 

Queensland, Australia: A five-hour battle between a 10feet python and a crocodile, ended with the 10feet python eating its vanquished opponent in Queensland, Australia.

The snake swallowing the crocodile at Queensland's Lake Moondarra. - See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf

The python swallowing the crocodile at Queensland's Lake Moondarra.


The extraordinary bout testing the animals’ strength and endurance took place at Lake Moondarra, near Mount Isa, and drew quite a crowd from people having breakfast nearby.


The snake coiled itself around the crocodile while both were in the water, but the smaller reptile was able to keep its head in the air and stay alive.

Eventually the metre-long crocodile succumbed to exhaustion, and what some witnesses said may have been up to five hours of constriction, at which point it was dragged out onto dry land.
- See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf 

Making a python of it: The python constricted itself around the metre - long crocodile and later swallowed the animal whole. 


The python coiled itself around the crocodile while both were in the water, but the smaller reptile was able to keep its head in the air and stay alive.

Eventually the meter -long crocodile succumbed to exhaustion, and what some witnesses said may have been up to five hours of constriction, at which point it was dragged out onto dry land. 

snake coiled itself around the crocodile while both were in the water, but the smaller reptile was able to keep its head in the air and stay alive.

Eventually the metre-long crocodile succumbed to exhaustion, and what some witnesses said may have been up to five hours of constriction, at which point it was dragged out onto dry land. - See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf
A five-hour battle between a snake and a crocodile, ended with the 10ft python eating its vanquished opponent in Queensland, Australia. - See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf
Queensland: A five-hour battle between a snake and a crocodile, ended with the 10ft python eating its vanquished opponent in Queensland, Australia.
- See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf
Queensland: A five-hour battle between a snake and a crocodile, ended with the 10ft python eating its vanquished opponent in Queensland, Australia.
- See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf
Queensland: A five-hour battle between a snake and a crocodile, ended with the 10ft python eating its vanquished opponent in Queensland, Australia. - See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf
Queensland: A five-hour battle between a snake and a crocodile, ended with the 10ft python eating its vanquished opponent in Queensland, Australia. - See more at: http://www.mid-day.com/articles/snake-eats-crocodile-after-five-hour-battle-at-australian-lake/15136076#sthash.lMndcIrK.dpuf

Sunday 22 December 2013

INCREDIBLE MIRACLE IN THE HISTORY OF MEDICAL SCIENCE

        मेडिकल साइंस के इतिहास का एक अजूबा 

 
वह महिला अगर चीन में होती तो शायद सजा की हकदार होती लेकिन वह भारत में है तो सुरक्षित है। बच्चे एक-दो नहीं बल्कि दस! आज के जमाने में छोटा परिवार सुखी परिवार माना जाता है लेकिन हर चीज आपके मन मुताबिक नहीं होती। कुछ चीजें आज भी विधाता की मर्जी से ही होती हैं। आप लाख परिवार नियोजन अपना लो कि बस एक ही बच्चा चाहिए लेकिन भगवान की मर्जी.आपको जुड़वा बच्चे हो गए तो कुछ नहीं कर सकते। लेकिन जुड़वा बच्चों में भी दो-तीन, चार भी आपने सुना होगा..
10 बच्चों के बारे शायद न सुना हो। अभी हाल ही में ऐसी ही घटना सामने आई तो सभी हैरान रह गए। अब तक के मेडिकल इतिहास में यह सबसे अधिक जुड़वा बच्चों का रिकॉर्ड है। मध्य प्रदेश का रीवा शहर उस वक्त मीडिया की सुर्खियों में आ गया जब यहां अंजू नाम की गर्भवती महिला के 10 बच्चे होने की खबर आई। रीवा के संजय गाधी मेमोरियल अस्पताल में 28 वर्षीय अंजू ने 10 बच्चों को जन्म दिया। हालांकि सभी बच्चे मृत पैदा हुए लेकिन मेडिकल साइंस के इतिहास में भी यह एक अजूबा से कम नहीं। डॉक्टर भी इसे एक अजूबा ही मान रहे हैं।
मध्य प्रदेश में सतना जिले की अंजू कुशवाहा और संतोष की शादी 10 साल पहले हुई थी। तब से उनके कोई बच्चा नहीं था। चार महीने पहले अंजू के पेट में दर्द होने के बाद जब संतोष ने स्थानीय डॉक्टरों को दिखाया तो उन्हें समझ नहीं आया। जबलपुर आकर वहां डॉक्टरों को दिखाने पर पता चला कि अंजू के पेट में एक से अधिक भ्रूण पल रहे हैं। डॉक्टरों ने इसे चिंताजनक बताते हुए तत्काल संतोष से अंजू का फीडल रिडक्शन कराने की बात कही। इस प्रक्रिया में एक भ्रूण को बचाते हुए अन्य भ्रूण को नष्ट कर दिया जाता है।
संतोष इसके लिए तत्काल तैयार नहीं था। बीते रविवार आधी रात के करीब अंजू के पेट में तेज दर्द हुआ। संतोष उसे संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल लेकर गया लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में ही 9 बच्चों का जन्म हो चुका था। अस्पताल में 10वें बच्चे का जन्म हुआ लेकिन प्री-मैच्योर बारह माह के इस बच्चे को भी बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों की मानें तो यह घटना अजूबा है लेकिन शायद बांझपन के ईलाज में दवाइयों के ज्यादा इस्तेमाल का कुप्रभाव हो सकती है।
हालांकि अंजू और उसके परिजन सतना के स्थानीय डॉक्टरों की दवाइयों के अलावा बांझपन के लिए अन्य किसी भी प्रकार के डॉक्टरी इलाज लेने से इनकार करते हैं लेकिन डॉक्टर अंजू का मेडिकल इतिहास जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कहीं उसने कभी आईवीएफ ट्रीटमेंट तो नहीं लिया था। बहरहाल हर किसी के लिए यह एक अजूबी खबर है लेकिन अंजू के लिए यह एक और दुख भरी खबर है। 10 साल के बाद दस बच्चों की मां बनकर भी उसके आज भी बच्चा नहीं है।