भारत दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है। लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें। रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है। हिंदू पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
हनुमान जी
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
हनुमान जी
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
दुनिया
का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती
है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू
पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं,
जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और
यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात
कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा
बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि
सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने
के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में
मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब
भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा
पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न
हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम
भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और
माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म
दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए।
राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए
उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे
चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी
पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम
भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर
आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के
लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी
ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा
और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर
की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें
अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते
हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार
में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के
जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार
व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये
'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में
शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद
द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण
द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह
पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम
से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे
विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य :
शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य
अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो
शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका
लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे।
यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और
इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र
चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर
जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता
है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के
कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे
हैं।
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भारत
दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की
जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू
पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं,
जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और
यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात
कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा
बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि
सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने
के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में
मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब
भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा
पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न
हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम
भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और
माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म
दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए।
राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए
उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे
चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी
पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम
भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर
आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के
लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी
ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा
और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर
की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें
अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते
हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार
में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के
जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार
व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये
'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में
शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद
द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण
द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह
पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम
से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे
विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य :
शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य
अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो
शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका
लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे।
यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और
इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र
चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर
जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता
है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के
कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे
हैं।
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दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की
जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जीवित होगें।
रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है। किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू
पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं,
जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और
यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात
कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा
बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि
सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने
के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में
मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब
भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा
पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न
हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम
भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और
माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म
दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए।
राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए
उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे
चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी
पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम
भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर
आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के
लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी
ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा
और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर
की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें
अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते
हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार
में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के
जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार
व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये
'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में
शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद
द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण
द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह
पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम
से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे
विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य :
शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य
अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो
शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका
लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे।
यह भी अमर हैं।
7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और
इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र
चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर
जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता
है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के
कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे
हैं।
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